१)
उसके घर पर मीडिया वालों की भीड़ लगी थी. लोग उसे ढूंढ रहे थे, पेपर उसका नाम जो आया था. उसकी पत्नी घर उसे जगाने गयी तो पायी कि वो घर पे नहीं हैं.
पत्नी ने मीडिया वालों को कहा,” स्वच्छ भारत अभियान पर गए होंगे, आते ही होंगे.”
कुछ कुर्सियों का इंतजाम करवा दी बैठने के लिए और खुद चाय-नाश्ता बनाने में लग गयी.
पडोसी से एक किलो गाय का दूध उधार मांग कर लायी. उसका मन फूला न समा रहा था, वो सोच रही थी कि जैसे इनका टीवी पर इंटरव्यू आएगा, ये पूरी दुनिया में फेमस हो जायेंगे. ये सोचते सोचते साथ में चूल्हे के साथ भी उठा-पटक करती रही. सावन का महिना था. उपले भींग गए थे, इसलिए ठीक से जल नहीं रहे थे, धुयें से उसकी आँखें लाल हो गयी थी पर वो इन बातों से बेपरवाह चाय- नाश्ता तैयार करने में लगी थी.
मीडिया वाले अब चाय नाश्ता कर रहे थे, सुबह के नौ बज चुके थे पर अभी तक वो नहीं आया था. मीडिया वालों को TRP की चिंता थी, उनका वक़्त भी जाया हो रहा था. मीडिया वाले अपना वक़्त का सदुपयोग करने के लिए उसकी पत्नी का, उसके बच्चों का, उनके पड़ोसियों का इंटरव्यू टेलीकास्ट करने लगे.
मीडिया आम का इमली बनाना, सनसनी पैदा करना बखूबी जानती है, अब वो वही कर रही थी. देखिये ये है ये खयाली का घर. आज हमे इनकी सफलता पर गर्व हो रहा है, इतनी विपन्नतायें,इतनी बाधाएं, इनके फौलादी इरादे को डिगा नहीं पायीं. आज पूरा गावं इनकी सफलता पर फख्र कर रहा है. इनके बच्चों के कपड़े फटे हैं, इनका घर कच्चा है, अभी बारिश में चू रहा है, इनकी पत्नी फटी साड़ी में लिपटी हुई हैं. इससे ज्यादा विपन्नता सुदामा के पास ही होगी. सुदामा को तो कृष्ण का साथ मिल गया था, कलयुग के इस विप्र को किसका का साथ मिलेगा, देखना है!
धीरे-धीरे मीडिया वालों के चहरे पर झूंझलाहट की रेखाएं पसरती जा रही थी और उसकी पत्नी के चहरे पर घबराहट की रेखाएं !!!! सुरज ठीक सर के ऊपर था, परछाई एक-दम छोटी थी. पत्नी रो रही थी.
कैमरा इधर लाओ, कैमरा इधर लाओ. मीडिया वाले इस अनमोल मौका को छोड़ना नहीं चाहते थे. “देखिए, हाँ इधर देखिए – खयाली को अपनी पत्नी का , अपने बच्चों का जरा भी ख्याल नहीं रहा, जरा सफलता क्या मिली, वो बीबी-बच्चों को छोड़ कर चला गया है, उसका कोई अता-पता नहीं है.”
भारतीय नारी अपने पति के ऊपर लांक्षण लगता नहीं देख सकती है वो जलती लकड़ी लेकर मीडिया वालों को मारने दौड़ी. मीडिया वाले अपनी जान बचा कर भागे. अब उनको TRP के लिए ढेर सारा मशाला मिल गया था. विशेषकर उसकी पत्नी का जलती लकड़ी लेकर दौड़ने वाला दृश्य.
२)
मीडिया वाले अब हवा को भी सूंघ रहे थे, कहीं भी खयाली की एक गंध तो मिल जाए, वो बस जंगली शिकारी कुत्तों की तरह ….
खयाली मिलने का नाम ही ले रहा था वो तो वैसे गायब हो गया था – जैसे गधे के सर से सिंग..
खयाली का मोबाइल स्विच ऑफ था, वो वेश बदल कर घूम रहा था और अपना ठौर-ठिकाना भी चेंज कर रहा था.
पेपर में नाम आने से पूर्व , खयाली वसंतपुर में कुछ छोटा-मोटा कार्य करता था. मीडिया वाले उसका वर्तमान पता ढूंढ रहे थे, वो भी पता नहीं चला. मीडिया वाले भी हार मानने वाले कहाँ होते हैं.
उन्होंने उसके गायब होने की ३-४ थियोरिज तैयार कर दी और उसको टेलीकास्ट करने लगे.
आपन टीवी:
खयाली जो विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं, जिनके अद्भुत कारनामों से न्यूज़ पेपरस रंगे थे, वो कुछ दिनों से गायब है, शायद उनको किसी ने किडनैप कर लिया है पर अभी तक किसी ने फिरौती नहीं माँगी है. सरकार भी चुपचाप बैठी है. उनकी पत्नी की आँखों से आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे हैं. उनको किडनैप करने का क्या कारण हो सकता है !! आप अपने विचारों को भी भेजते रहिये और जुड़े रहिये आपन टीवी से खयाली के बारे में जानने के लिए. खयाली की कोई खबर, सबसे पहले आपन टीवी पर.
कल टीवी:
आप को पता होगा सबसे पहले कल टीवी की टीम खयाली के घर गयी थी और हमारी टीम ने उनके घर से लाइव रिपोर्टिंग की थी. कोई भी खबर, सबसे पहले कल टीवी पर. हम खयाली को ढूंढ रहे हैं, हमारी टीम लगातार नजर रख रही है, वो जैसे ही मिलते है, हम आप को उनसे रुबरु करवाएंगे. उनके पड़ोसियों का कहना है शायद वो हिमालय की कंदराओं में चले गए हैं, वो बचपन से साधू-सन्यासियों के साथ घूमते रहते थे, उनको उनका साथ अच्छा लगता था. कहीं मत जाइएगा, चिपक कर बैठिएगा.
न्यू टीवी:
अभी-अभी हमने कई एक्सपर्ट्स से बात की है, जिनका मेंटल लेवल बहुत ज्यादा होता है, वो कभी-कभी विक्षिप्त हो जाते हैं, और दुनिया से दूर, अकेले बैठ जाते हैं, हो सकता है खयाली तन्द्रिल अवस्था में कहीं बैठे हो. न्यू टीवी सरकार से गुजारिश करती है, खयाली जी का पता करे, उनके मेंटल स्टेटस को चेक करें, कहीं हम एक महान प्रतिभा को खो न दें.
दुनिया छोटी है, खयाली ज्यादा दिनों तक खुद को मीडिया की गिद्ध नज़रों से बच नहीं पाया.
एक दिन ….
जब लोगों की नजर खुली तो देखा कि विशाल वटवृक्ष के नीचे , काषाय वस्त्र लपेटे हुए खयाली जी, बुद्ध की मुद्रा में बैठे है, एक तरफ वीणा रखी है, दूसरे तरफ गिटार और सामने में हारमोनियम और ढोलक. ललाट पर श्वेत चन्दन का तिलक. आँखे अधखुली, पद्मासन में विराजे हुए, ध्यान मुद्रा में.
भीड़ जुटनी शुरू हो गयी. मीडिया वालों ने चारो तरफ से घेर लिया और अपने तरकश से प्रश्नों के बाण को छोड़ने के लिए आमादा हो गए.
खयाली ने इशारे से कहा,” हमे अकेला छोड़ दो.”
दिन ढलने लगी. भीड़ छटने लगी. खयाली एक कुटिया में जाकर बैठ गए.
मीडिया वालों के आग्रह को खयाली जी ने स्वीकार कर लिया और साक्षत्कार के लिए तैयार हो गए.
न्यू टीवी:
पत्रकार – खयाली जी, सुना संगीत में आप की विशेष रूचि है.
खयाली – सामान्य मनुष्यों जैसी ही है, संगीत और विद्या के बिना मानव पशु समान होता है.
“आप अपनी कोई रचना सुनायेंगे.”
“मेरी अपनी कोई रचना नहीं है, सारी रचना तो ईश्वर की है, हम तो निम्मित मात्र हैं”
“ईश्वर रचित मूल स्वर को ही हारमोनियम पर सुना दीजिये”
“सा रे ग म ..”
“खयाली जी, आपके हाथ काँप रहे हैं, सुर भी नहीं लग रहा है”
“सुबह से आपलोगों ने प्रश्नों की अतिवृष्टि कर रखी है, इसलिए गला सुख गया है और हाथ कांप रहे हैं” चेहरे से पसीने के बूंदों को पोछते हुए खयाली ने कहा.
“कोई गीत सुनाइये”
“हरे कृष्णा हरे कृष्णा, हरे रामा….”
“ये तो मन्त्र है, मैं तो आपसे गीत सुनना चाहता हूँ”
“मन्त्र नहीं, ये महामंत्र है, पत्रकार जी.”
“खैर छोड़िये! हमे समझ में नहीं आ रहा है कि आप को संगीत में प्रशस्ति पत्र कैसे मिला!”
“ये दिव्य बातें हैं!, आप समझ नहीं पायेंगे!”
“हाँ,आपने पैसों का लेन-देन कर दिव्यता पैदा की होगी और ये परिणाम पाया होगा.”
“आप अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं, पत्रकार जी.”
“आपकी उम्र कितनी हैं!”
“२६ साल”
“एक दस्तावेज के मुताबिक़ आपकी उम्र है बयालीस वर्ष.”
“सही-सही मुझे अभी याद नहीं है”
“हिंदी में आपने अच्छे अंक अर्जित किये हैं, क्या आप बता पायेंगे – तुलसीदास का जन्म कब हुआ था?”
“मुझे याद नहीं है, मैंने सिर्फ महत्वपूर्ण प्रश्नों को ही याद किया था”
“दर्शकों, ये हैं कला के टॉपर, इन्हें नहीं पता है – स्वर क्या होता है, तुलसीदासजी का जन्म कब हुआ था”
“धोखाधड़ी के मामले में पुलिस आपको गिरफ्तार करती है, क्या कहना है आपको?”
“मैंने कोई अपराध नहीं किया है!”
“सारे अपराधी यही कहते हैं!”
“मैंने जो कुछ भी किया है- जीवकोपार्जन के लिए किया है, अपने छोटे बच्चों की भूख मिटाने के लिए किया है.”
“गलत जन्म प्रमाण पत्र देना धोखाधड़ी नहीं है क्या !”
“ये मैंने अपनी गरीबी के कारण किया, अपना भविष्य सुधारने के लिए किया, जिससे मुझे, मेरी पत्नी को और मेरे बच्चों को साधारण जीवन मिल सके.”
“गलत प्रमाण पत्र के कारण जेल भेजना है तो उन मंत्रियों को भेजो, जिन्होंने गलत डिग्री सर्टिफिकेट सबमिट किये. जो अपने शपथ पत्र को भी नहीं पढ़ सकते हैं. समरथ को कछु दोष न गोसाईं . नियम तो मुझ जैसे कमजोर पर लागू होते हैं.”
“आप विषय से भटक रहे हैं, आपने परीक्षा में टॉप किया और आपको विषयों की मूलभूत जानकारी भी नहीं हैं.”
“कैसी बाते कर रहे हो, यह सत्य है कि मैं ४२ वर्ष का हूँ पर बेरोजगार हूँ, गरीब हूँ, जीवकोपार्जन का कोई साधन नहीं है, इधर-उधर भटकता हूँ, सोचा – अच्छे अंक की प्राप्ति की बाद सरकारी महकमे में नौकरी लग जायेगी और मेरे बच्चों को भविष्य सुधर जाएगा.”
“दूसरों की गलती को सामने रखने से आपका अपराध कम नहीं हो जाएगा”